लंदन/बर्लिन/पेरिस. यूरोपियन यूनियन से बाहर होने के ब्रिटेन के रेफरेंडम के नतीजे (Brexit) से यूरोप हिल गया है। नतीजे उम्मीद के उलट आए। सर्वे गलत साबित हुए। अब ब्रिटेन के टूटने का खतरा पैदा हो गया है। स्कॉटलैंड-आयरलैंड ने अलग होने का इशारा कर दिया है। वहीं, ईयू में शामिल कुछ और देश भी इससे अलग हो सकते हैं। क्यों पड़ी रेफरेंडम की जरूरत, क्या आए नतीजे...
- बता दें कि यूके (यूनाइटेड किंगडम) को ही ग्रेट ब्रिटेन या ब्रिटेन कहा जाता है। इसमें इंग्लैंड, वेल्स, स्कॉटलैंड और ईस्ट आयरलैंड शामिल हैं।
- यूके में लंबे समय से यह दलीलें दी जा रही थीं कि यूनियन में शामिल होने की वजह से देश अपनी इकोनॉमी या फॉरेन पॉलिसी को लेकर आजादी से फैसले नहीं कर पा रहा है। उसकी डेमोक्रेसी पर असर पड़ रहा है।
- यह कहा गया था कि ईयू से अलग होने पर यूके इमिग्रेशन पॉलिसी को लेकर भी खुद फैसले कर पाएगा।
- पिछले इलेक्शन के बाद जब डेविड कैमरन पीएम बने तो उन्होंने वादा किया था कि वे रेफरेंडम कराएंगे।
क्या आए नतीजे?
- शुक्रवार को आए नतीजों में 52 फीसदी ने ईयू छोड़ने, जबकि 48 फीसदी ने इसमें बने रहने के फेवर में वोट किए।
- यूथ चाहते थे EU में ही रहे UK, लेकिन बुजुर्गों की एकतरफा वोटिंग ने देश को अलग करने का फैसला दिया।
- 13 लाख वोटों के चलते यस और नो के बीच 4% वोटों का अंतर पैदा हुआ।
फिर उठी रेफरेंडम की मांग
- यूके में दोबारा रेफरेंडम की मांग उठी है। कुछ ही घंटे में ऑनलाइन पिटीशन पर 77 हजार लोगों ने साइन किए।
- इसमें कहा गया है कि हां और ना में सिर्फ चार पर्सेंट का फर्क है। इसलिए दोबारा रेफरेंडम की जरूरत है।
- जो ऑर्गनाइजेशन दोबारा रेफरेंडम का कैम्पेन चला रहा है, उसकी ऑनलाइन पिटीशन पर साइन करने वाली वेबसाइट शुक्रवार को कुछ ही घंटों में क्रैश हो गई।
- ब्रिटेन की स्कॉटलैंड नेशनल पार्टी (एसएनपी) की नेता निकोला स्टरजियोन ने कहा- "नतीजों से साफ है कि स्कॉटलैंड की जनता यूरोपियन यूनियन में अपना भविष्य देख रही है। ऐसे में, हमारी सरकार जल्द ही स्कॉटलैंड की आजादी के लिए दूसरे रेफरेंडम का एलान करेगी। आयरलैंड ने भी ऐसी ही बात दोहराई है।"
EU में हुईं इमरजेंसी मीटिंग्स
- रेफरेंडम के नतीजों के बाद यूरोपियन यूनियन के मजबूत देश फ्रांस में लगातार तीन इमरजेंसी मीटिंग हुई।
- फ्रेंच प्रेसिडेंट फ्रांस्वा ओलांद ने फोन पर जर्मन चांसलर एंगेला मर्केल और यूरोपियन यूनियन के अध्यक्ष डोनाल्ड टस्क से लंबी बात की।
दूसरे देश भी जा सकते हैं बाहर
- ब्रिटेन के बाहर निकलने के बाद अब फ्रांस, डेनमार्क, फिनलैंड, हंगरी जैसे दूसरे देश भी यूरोपियन यूनियन से बाहर निकल सकते हैं।
कौन बन सकता है पीएम
- लीव कैम्पेन के बोरिस जॉनसन पीएम रेस में आगे हैं। वे लंदन के मेयर रह चुके हैं।
- फराज नाइजल भी दौड़ में हैं। उन्होंने अपने कैम्पेन में लगातार मुस्लिम इमिग्रेंट्स का मुद्दा उठाया।
इकोनॉमी की जगह इस्लामोफोबिया बना मुद्दा
- लीव कैम्पेन ने इमिग्रेंट्स का मुद्दा उठाया। सीरिया-इराक में आईएसआईएस के असर वाले इलाकों से आने वाले रिफ्यूजियों का विरोध किया। उन्हें खतरा बताया।
- ब्रिटेन में इमिग्रेंट्स के मुद्दे को उन्होंने देश की संस्कृति, पहचान और नेशनलिटी से जोड़ दिया।
- कैमरन ने जमकर 'रीमेन इन ईयू' का प्रचार किया, लेकिन नाइजल का 'लीव ईयू' कैम्पेन इंग्लैंड और वेल्स में कहीं ज्यादा कामयाब रहा।
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